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देहरादून !

उत्तराखण्ड की 5 लोकसभा सीटों में बीते 19 अप्रैल को हुए चुनावों में सबसे अधिक चर्चा गढ़वाल लोकसभा सीट की रही, भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बेहद नजदीकी अनिल बलूनी के भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही गढ़वाल लोकसभा राज्य की हॉट सीट बन गई थी। गढ़वाल लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी के सामने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने चुनाव को चुनौतीपूर्ण बनाने की कोशिश तो की लेकिन मोदी लहर और अनिल बलूनी के प्रभाव की वजह से उनकी मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। 

गढ़वाल लोकसभा में शामिल 14 विधानसभा क्षेत्रों से आ रहे रुझानों में भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी बलूनी बड़ी जीत की ओर तो बढ़ रहे हैं लेकिन जिस तरह भाजपा का खेमा इस सीट पर 5 लाख से अधिक मतों से जीत का दावा करता आ रहा था उस दावे को मतदान प्रतिशत में गिरावट ने जोर का झटका दिया है।  मतदान के बाद जहाँ भाजपाई विधानसभा वार चुनावी बढ़त का आंकलन करने में जुटे हैं वहीँ कांग्रेस के कार्यकर्त्ता दबी जुबान से गणेश गोदियाल की संभावित हार के लिए मोदी लहर और भाजपा के सरकारी तंत्र के दुरूपयोग के साथ ही कमजोर संगठन को जिम्मेदार था रहे हैं !

गढ़वाल लोकसभा में हार जीत के अन्तर को कोटद्वार, रामनगर और नरेन्द्र नगर विधान सभा सीटों के निर्णय काफी हद तक प्रभावित करेंगे, इन मैदानी बहुल सीटों में ही सबसे अधिक मतदान प्रतिशत रहा है जो किसी भी प्रत्याशी की किस्मत को बनाने और बिगाड़ने के लिए काफी है।  कोटद्वार और रामनगर में मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी संख्या की वजह से जहाँ कांग्रेस इन विधानसभाओं पर उम्म्मीद लगाए हुए है वहीँ दुसरी और धार्मिक ध्रुवीकरण की वजह से भाजपा भी इन क्षेत्रों से बड़ी बढ़त के भरोसे बैठी हुई है। 

04 जून को परिणाम आने तक अटकलों और चुनावी गणित का गुणा भाग राजनीतिक गलियारों में यूँ ही जारी रहेगा लेकिन इतना तो साफ़ है कि भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी की वजह से गढ़वाल लोकसभा कांग्रेस के लिए इस बार भी दूर की कौड़ी साबित होने वाली है !

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